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सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

कुट्टी स्मरण

दिवंगत कार्टूनिस्‍ट पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि
राष्‍ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह आयोजित
कुट्टी के कार्टूनों का अवलोकन करते प्रणब मुखर्जी 
दिवंगत कार्टूनिस्‍ट पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि देने के लिए आज राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि एक कार्टूनिस्‍ट का कार्य एक उपकरण के रूप में हास्‍य का उपयोग करते हुए महत्‍वपूर्ण सामाजिक संदेशों को लोगों तक पहुंचाना है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हास्‍य, जनता और राजनेताओं के तनाव को खत्‍म करता है। उन्‍होंने कहा कि कार्टून जनता को यह याद दिलाता है कि एक शासक भी वही भूल कर सकता है जो एक आम आदमी कर सकता है क्‍योंकि शासक भी तो एक मनुष्‍य है। कार्टूनिस्‍ट हमारे सार्वजनिक जीवन के प्रति दर्पण दिखाने का काम करता है और एक राष्‍ट्र के रूप में हमे अपने
आप को देखने में मदद करता है। उन्‍होंने कहा कि एक देश के रूप में हमें नेहरू के युग की तरफ लौटना चाहिए; एक ऐसी मनोदशा तैयार करना चाहिए जो आलोचना का स्‍वागत करती हो, जहां टिप्‍पणी तो स्‍वतंत्र हो लेकिन तथ्‍यों के साथ छेड़-छाड़ का कोई प्रयास न हो।
दिवंगत कुट्टी को याद करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि केरल के एक निवासी के रूप में जो दिल्‍ली में रहे और बंगाली समाचार पत्रों के लिए कार्टून बनाया (हालांकि वे बंगाली नहीं बोल सकते थे), श्री कुट्टी एक उत्‍कृष्‍ट कोटि के भारतीय थे। उनका जीवन और उनके कार्य भाषा या राज्‍य की सीमाओं से परे हैं। राष्‍ट्रपति ने भारत के कार्टूनिस्‍टों से अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करके श्री कुट्टी की याद को जीवित बनाये रखने का आह्वान किया।

इस अवसर पर राष्‍ट्रपति को कार्टूनों के संग्रह वाली एक पुस्‍तक 'कार्टून प्रणाम' प्रस्‍तुत की गई। उन्‍होंने कार्टूनों और व्‍यंग्‍य चित्रों की प्रदर्शनी का भी आनंद उठाया।
केन्‍द्रीय प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री श्री व्‍यालार रवि, केरल के मुख्‍यमंत्री श्री ओमान चांडी और देश के जाने-माने कार्टूनिस्‍टों ने इस समारोह में भाग लिया।
नयी दिल्ली, २९ अक्टूबर, २०१२
कार्टूनिस्‍ट का काम हास्‍य की सहायता से महत्‍वपूर्ण सामाजिक संदेश पहुंचाना है- प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी
राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि कार्टूनिस्‍ट हास्‍य की सहायता से सामाजिक संदेश प्रेषित करता है। हास-परिहास लोगों के साथ-साथ राजनीतिज्ञों के लिए भी तनाव दूर करने का उपाय है। कार्टून लोगों को यह बताता है कि शासक भी उन्‍हीं की तरह आम मानव और उनमें भी क्षमा योग्‍य दोष हो सकते हैं। श्री प्रणब मुखर्जी ने यह बात आज प्रसिद्ध कार्टूनिस्‍ट स्‍वर्गीय पी.के.एस. कुट्टी को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में कही। राष्‍ट्रपति महोदय ने कहा कि वे अपने लम्‍बे सार्वजनिक जीवन में श्री कुट्टी के बनाए कार्टून के निशाने पर रहे, खासतौर पर बांग्‍ला समाचार पत्रों ‘आनंद बाजार पत्रिका’ और ‘आजकल’ में श्री कुट्टी के कार्य के दौरान। राष्‍ट्रपति ने कहा कि कुट्टी जैसे कार्टूनिस्‍टों की तेज-तर्रार प्रतिक्रिया में नए तरह का हास्‍य बोध होता था। श्री कुट्टी और उनके गुरू शंकर ने इसी संस्‍कृति को कार्टूनिस्‍टों की आगे आने वाली पीढि़यों में बढ़ाया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि कार्टून हमारे पास ब्रिटिश परम्‍परा के तौर पर आया। 1980 के उत्‍तरार्द्ध तक किसी नेता की पहचान उसके फोटो से ज्‍यादा उसके कैरिकेचर से होती थी। यहां तक कि पुराने नेता अपने बारे में बनाए गए इन हास्‍य चित्रों का संग्रह कर उन्‍हें अपने कार्यस्‍थल पर प्रदर्शित करते थे। उन्‍हें लगता था कि एक लोकप्रिय कार्टून जनता के साथ उनके संपर्क को दर्शाता है। आहत किए बिना निंदा करना, चेहरे के मूल भाव का बिगाड़े बिना हास्‍य चित्र बनाने की योग्‍यता और लम्‍बे चौड़े सम्‍पादकीय में जो बात नहीं कही जा सकती उसे ब्रश के माध्‍यम से व्‍यक्‍त करना कार्टूनिस्‍ट की अद्भुत कला है। कार्टूनिस्‍ट हमारे सार्वजनिक जीवन का दर्पण हमारे सामने रख देता है और एक राष्‍ट्र के तौर पर हमें खुद को देखने की क्षमता प्रदान करता है। हमें एक राष्‍ट्र के रूप में नेहरू युग में लौटना चाहिए, आलोचना का स्‍वागत करने का स्‍वभाव अपने अंदर विकसित करना चाहिए, जहां टिप्‍पणी स्‍वतंत्र हो, लेकिन वास्‍तविकता पावन हो।
राष्‍ट्रपति महोदय ने देश के सांस्‍कृतिक और राजनीतिक इतिहास में श्री कुट्टी के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे केरल के निवासी थे, जो दिल्‍ली में रहे और बांग्‍ला भाषा न आने के बावजूद उन्‍होंने बांग्‍ला समाचार पत्रों के लिए कार्टून बनाए। वे एक सर्वोत्‍कृष्‍ट भारतीय थे। उनका जीवन और कार्य भाषाई और राज्‍य की सीमाओं में नहीं बंधा था। राष्‍ट्रपति महोदय ने सभी कार्टूनिस्‍टों से अपनी इस कला में उत्‍कृष्‍टता हासिल कर श्री कुट्टी की स्‍मृति को जीवित रखने का आह्वान किया।
कार्यशाला
कार्टूनिस्ट कुट्टी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, केरल कार्टून अकादमी और सूचना और सार्वजनिक संबंध विभाग, केरल सरकार, औपचारिक रूप से विविधता कार्यक्रमों की शुरूआत में पहले नई दिल्ली में केरल हाउस, रक्षा मंत्री के सरकारी निवास पर और प्रेस क्लब ऑफ़ इण्डिया में 27 अक्टूबर 2012 को स्मरणोत्सव का पहला चरण शुरू किया गया।
२७ अक्टूबर को अपराह्न ३ बजे कार्टून शिविर केरल हाउस में बड़ी संख्या में जिज्ञासुओं ने वरिष्ट कार्टूनिस्टों से कार्टून कला की बारीकियां और सुझावों को जानने में काफ़ी रुचि दिखायी।
अकादमी के अध्यक्ष प्रसन्नन अनिकाड, काक, बी.एस. बग्गा, गुज्जरप्पा, प्रशान्त कुलकर्णी, आआPrashanth कुलकर्णी, परेशनाथ ए वी,  मनोज चोपड़ा, निशान्त थचरूबलारू, कार्तिक कट्टानारू, जगजीत राणा,  डॉ. रोहनीत फ़ोर,  चंदर, जेम्स मौलोडी,  सुधीर नाथ, अनिल वेगा, अब्बा वजूर, अनूप राधाकृष्णन, रीतिश के.आर., विनीता वासु आदि कार्टूनिस्टों ने वहां बाल-युवा कलाकारों के साथ अपने तमाम अनुभवों को साझा किया।




रविवार, 28 अक्तूबर 2012

बिग-बिग

असीम अपने आन्दोलन की शायद एक और कीमत चुकाएं
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया की धमकी के दबाव में आकर कलर्स चैनल ने कहा है कि वे असीम को इस हफ्ते बिग-बास हाउस से निकाल देंगे। आखिर किस बात का विरोध कर रहे हैं ये राजनैतिक दल?
असीम का व्यवहार बिग-बास के घर में भी बेहद सराहनीय रहा है और वहां रह रहे सभी कंटेस्टेंट असीम का सम्मान करते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान नवजोत सिंह सिद्धू ने तो असीम को 24 कैरेट खरा सोना तक कह दिया। पिछले 18 दिनों में असीम ने रियलिटी शो में कोई ऐसा कार्य नहीं किया है जिससे राष्ट्र या किसी विशेष बिरादरी का अपमान होता हो। असीम ने बिग-बास के मंच को अपने आन्दोलन को जनता तक पहुचाने के लिये ही इस्तेमाल किया है। बिग-बास के घर में जाने से पहले ही असीम ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वे मनोरंजन करने के इरादे से नहीं बल्कि लोगों के बीच भष्टाचार के खिलाफ एक अलख जगाने के लिये बिग-बास हाउस जा रहे हैं।
कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को इससे पहले भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिये परेशान किया जा चुका है। महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने पुलिस द्वारा असीम पर देश-द्रोह का मुकदमा लगाए जाने और उन्हे गिरफ्तार करने के लिये सरकार को लताड़ भी लगाई थी। इससे पहले कुछ आपराधिक तत्वों द्वारा असीम को धमकी भरे फोन भी किये गये थे और कहा गया था कि असीम को महाराष्ट्र आने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
• आलोक दीक्षित/फ़ेसबुक

शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

असीम

मैं मसखरा नहीं जो लोगों को हंसाऊं
देश का पहला कार्टूनिस्ट कलर्स टीवी चैनल के बिग बॉस में
असीम त्रिवेदी कलर्स टीवी चैनल के चर्चित रियलिटी शो बिग बॉस सीज़न-६ में शामिल होने वाले देश के पहले कार्टूनिस्ट हैं। असीम का मानना है कि वह सबसे पहले एक आम आदमी हैं जो आड़ी-तिरछी रेखाओं से आकृतियां रचकर सच कहने की कोशिश करता है। यह सच कहते रहने की कोशिश बिग बॉस में भी जारी रहेगी। एक कार्टूनिस्ट के रूप में वे हमेशा उद्देश्यपूर्ण ढंग से अपना काम करते रहेंगे। कार्टूनिस्ट असीम का कहना है कि वह कोई मसखरा या जोकर नहीं है जो राह चलते लोगों को मनोरंजन करे। वह बिग बॉस में भी लोगों के भीतर भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने का जोश भरते रहेंगे।

गुरुवार, 11 अक्तूबर 2012

श्रद्धांजलि

कार्टूनिस्ट कुट्टी की पहली पुण्य तिथि 
सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट कुट्टी की पहली पुण्य तिथि के अवसर पर उनका स्मरण करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु देश के लगभग हर हिस्से से कार्टूनिस्ट राजधानी दिल्ली आ रहे हैं।
केरल कार्टून अकादमी द्वारा आयोजित किये जा रहे इस विशेष कार्यक्रम में माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कार्टूनिस्ट कुट्टी को श्रद्धांजलि देते हुए सम्बोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि वे स्वयं कार्टूनिस्ट कुट्टी और उनके बनाए कार्टूनों के प्रशंसक रहे हैं। विशेष बात यह है कि कुट्टी साहब बंगला भाषा नहीं जानते थे लेकिन बंगला में छपने वाले दैनिक अखबार के लिए नियमित कार्टून बनाते थे। उनकी कार्टून कला के प्रशंसक अनगिनत हैं।
राष्ट्रपति भवन में २९ अक्टूबर, २०१२ को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में श्री प्रणब मुखर्जी को १११ कार्टूनिस्टों द्वारा बनाये गये उनके कार्टून-कैरीकेचर एक पुस्तक के रूप में भैंट किये जाएंगे। इस कार्टून-कैरीकेचर संकलन में कार्टूनिस्ट कुट्टी के कुछ कार्टून विशेष रूप से शामिल किए जाएंगे।
राजधानी के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब परिसर में २७ से २९ अक्टूबर, २०१२ तक कुट्टी के कार्टूनों की विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की जा रही है।
• कार्टूनिस्ट चन्दर

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

कार्टून प्रदर्शनी





एसडी फड़नीस के कार्टूनों की प्रदर्शनी बंगलोर में 
देश-दुनिया के जानेमाने वरिष्ट कार्टूनिस्ट श्री एसडी फड़नीस के कार्टूनों की एक प्रदर्शनी  'फड़नीस के साथ हंसी' (लाफ़ विद फ़ड़नीस) इण्डियन इण्स्टीट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स (आईआईसी) द्वारा बंगलोर में आयोजित की जा रही है। आप सभी कार्टूनिस्ट और कार्टून प्रेमी सादर आमन्त्रित हैं।
दिनांक 1 से 13 अक्टूबर, 2012 को (रविवार अवकाश)
•  इण्डियन इण्स्टीट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स,
नं. १, मिडफ़ोर्ड हाउस, मिडफ़ोर्द गार्डन, ऑफ़ एमजी रोड, बंगलोर- ५६०००१ (कर्नाटक), भारत  Iफ़ोन +९१ ८० ४१७५८५४०, ९९८००९१४२८  ई-मेल-   e-mail: info@cartoonistsindia.com   वेबसाइट- www.cartoonistsindia.com
कार्टूनिस्ट एसडी फड़नीस 
भाषा, क्षेत्र या वर्ग की सीमाओं से परे कार्टूनिस्ट फड़नीस के मूक कार्टून घर-बाहर की रोजमर्रा की जिंदगी में हास्य खोज लाने में सक्षम हैं। वास्तविक चित्रण का आभास देने वाला उनका चित्रण सचमुच अनूठा और आनन्ददायक है।
एसडी फड़नीस के रूप में लोकप्रिय शिवराम दत्तात्रेय फड़नीस 29 जुलाई, 1925 को भोज, जिला बेलगाम में पैदा हुए थे। सर जे.जे.इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड आर्ट, मुम्बई में उन्होंने अपनी औपचारिक कला शिक्षा प्राप्त की। वे भारत के एक जानेमाने कार्टूनिस्ट इलस्ट्रेटर है। उनके मूक कार्टून देश-दुनिया और भाषा की बाधाओं से परे हैं और बिना भेदभाव के सभी कार्टून प्रेमियों को आनन्द और प्रेरणा देने वाले हैं।
भाषा, क्षेत्र या वर्ग की सीमाओं से परे उनके मूक कार्टून घर-बाहर की रोजमर्रा की जिंदगी में हास्य खोज लाने में सक्षम हैं। वस्तविक चित्रण का आभास देने वाला उनका चित्रण सचमुच अनूठा और आनन्ददायक है।
उनके कार्य की प्रस्तुति ‘लाफ़िंग गैलरी’ दुनिया भर में 20 शहरों में 40 से अधिक वर्षों बड्मेंची उत्सुकता और रुचि के साथ देखी गयी है। 

कलाकार फ़डनीस के मूल बहुरंगी कार्टून इन प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किये गये हैं। इन वर्षों में ‘लाफ़िंग गैलरी’ हास्य के साथ एक किंवदंती बन गयी है और आगंतुकों ने इसे बहुत पसन्द किया है। ‘लाफ़िंग गैलरी’ भारत में पुणे, मुंबई, नयी दिल्ली, बंगलौर, हैदराबाद और विदेशों में न्यूयॉर्क तथा लंदन आदि में प्रदर्शित की गयी है।
‘चित्रहास’ शो के माध्यम से फ़ड़नीस वहां उपस्थित दर्शकों को कार्टून बनाने की प्रक्रिया समझाते रहे हैं। ९० मिनट के इस कार्यक्रम में वे काफ़ी कार्टून बनाते है। कार्टून प्रेमियों को भलीभांति समझाने के लिए वे अपने कार्टूनों का रंगीन स्लाइड शो भी कार्यक्रम में शामिल करते हैं। 
जहां ‘चित्रहास’ दुनिया भर में अनेक महानगरों में प्रस्तुत किया गया है, वहीं भारत के छोटे-बड़े शहरों मे भी प्रस्तुत किया गया है। क्लब और सांस्कृतिक संगठनों के लिए यह शो प्रस्तुत कराना काफ़ी पसन्द आया क्योंकि इसमें दृश्य-श्रव्य (ऑडियो-विज़ुअल) उपकरण और अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था खुद फ़ड़नीस की ओर से रहती थी जो उन्हें बहुत सुविधाजनक लगता था।
फड़नीस ने1952 के बाद से हर साल के लिए मराठी पत्रिका ‘मोहिनी’ के दीवाली विशेषाकों के कवर का डिजाइन किया है। उन्हें ‘इण्डियन इण्स्टीट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स’ द्वारा जून 2001 में 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' से सम्मानित किया गया।
उनके अनेक कार्टून मॉन्ट्रियल इंटरनेशनल सैलून द्वारा प्रकाशित और प्रदर्शित किये गये हैं। वे फ्रेंकफर्ट पुस्तक मेले में ‘भारतीय कार्टून’ प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए निमन्त्रित किये गये थे। उनके अनेककार्टून अमरीका और जर्मनी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकशितहो चुके हैं।
उन्होंने शकुंतला से शादी की है और उनकी दो पुत्रियां हैं। वे पुणे में रहते है।

1951: ‘हंस’ पत्रिका पर पहला हास्य आवरण।
1952: ‘मोहिनी’ पत्रिका के दीवाली विशेषांक का पहला विनोदी आवरण।
1954: कमर्शियल आर्टिस्ट्स’ गिल्ड (सीएजी), मुम्बई द्वारा आउटस्टेण्डिंग एडीटोतियल अवार्ड प्रदान किया गया। 
1965: जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में उनके मूल रंगीन कार्य की पहली प्रदर्शनी आयोजित।
1966: नयी दिल्ली में आयोजित ‘लाफ़िंग गैलरी’ का पूर्व भारतीय राष्ट्रपति जाकिर हुसैन द्वारा उद्घाटन किया.
1970: उनके चुने हुए कार्टूनों की पहली पुस्तक प्रकाशित।
1987: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के राष्ट्रीय टेलीविजन पर एसडी 'फड़नीस के कार्यक्रम प्रसारित।
1997: ‘चित्रहास’ और ‘लाफ़िंग गैलरी’ की अमरीका और बिटेन की यात्रा। 
2000: सु. ला  गडरे मातोश्री पुरस्कार, मुम्बई।
2000: मार्मिक पुरस्कार, मुंबई।
2000: रवि परांजपे फाउंडेशन पुरस्कार, पुणे।

2001: इण्डियन इण्स्टीटुट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स , बंगलौर द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।
2006: फ्रैंकफर्ट विश्व पुस्तक मेले में प्रदर्शनी 'भारत से कार्टून' में आमंत्रित भागीदार।
2011: टीवी चैनल आईबीएन लोकमत 'ग्रेट भैंट' श्रृंखला में साक्षात्कार (चित्रों के साथ)।
2011: ‘हंस’ प्रकाशन द्वारा पहला हंस पुरस्कार।
2011: 'जीवन गौरव पुरस्कार' इंटरनेशनल लॉजेविटी सेण्टर, भारत द्वारा।
2012: एसडी फड़नीस द्वारा लिखित पुस्तक ‘रेशतान’ (Reshatan) के लिए 'महाराष्ट्र साहित्य परिषद पुरस्कार'।
• टी.सी. चन्दर

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