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गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

गोपलू

कार्टूनिस्ट गोपलू नहीं रहे 
जानेमाने कार्टूनिस्ट एस. गोपालन (गोपलू) का निधन हो गया। लगभग ६ दशकों तक उन्होंने अपने पाठकों को अपने बनाये कार्टून और चित्रों से मन्त्रमुग्ध किये रखा।
सन १९२४ में जन्मे एस.गोपालन (Gopulu) की २९ अप्रैल २०१५ की मृत्यु हो गयी। एक तमिल कार्टूनिस्ट-चित्रकार के रूप में उन्हें तमिल हास्य पत्रिका आनंद विकटन के लिए किये गये अपने काम के लिए जाना जाता है। 
१९२४ में तंजौर में जन्मे गोपालन ने गोपलू शहर में अपने प्रारंभिक वर्ष बिताये। उन्होंने कला के कुंभकोणम स्कूल में अध्ययन किया। १९४१ में, वह आनंद विकटन पत्रिका में एक नौकरी की तलाश में चेन्नई आये। वहां उनकी मुलाकात सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट 'माली' से हुई। वहाँ उन्हें पत्रिका के दीपावली विशेषांक के लिए चित्र बनाने को कहा गया। उनका काम देखकर माली ने पत्रिका में गोपलू को एक नौकरी का प्रस्ताव रखा। बात शायद दिसंबर १९४४ की है। लगभग बीस वर्षों के दौरान 1968 तक गोपलू ने पत्रिका के लिए राजनीतिक कार्टून, कवर डिजाइन, चित्र आदि विविध कार्य किये। गोपलू ने तिल्लाना मोहनम्बल (Thillana Mohanambal और वाशिंगटन तिरुमनम (Washingtonil Thirumanam) के रूप में लोकप्रिय टीवी धारावाहिकों के लिए काम किया। उन्हें लेखक देवेन के साथ कॉमिक्स थप्परियम सम्बु (Thuppariyum Sambu) के लिए भी जाना जाता है। लेखक सावी (Saavi) के साथ उनकी १९५३-५४ में की गयी अजंता, एलोरा, दिल्ली, जयपुर, कलकत्ता आदि की यात्राएं भी अविस्मर्णीय हैं। १९७२ में गोपलू ने अपनी ही विज्ञापन एजेंसी ’एड वेव’ शुरू की। उन्होंने कहा कि तमिल पत्रिका कुंगमम (Kungumam) और सन टीवी का लोगो तैयार किया। बाद में वह विज्ञापन एजेंसी छोड़ दी और कल्कि,  अमुधासुरभि (Amudhasurabhi), विकटन और कुंगुमम (Kungumam) के रूप में पत्रिकाओं के लिए एक स्वतंत्र चित्रकार के रूप में काम करने लगे।
Gopulu मुरासोली पुरस्कार और एमए चिदंबरम चेट्टियार पुरस्कार प्राप्त हुए। २६ नवंबर, १९९१ को तमिलनाडु सरकार द्वारा कलाईममणि (Kalaimamani) का पुरस्कार दिया गया था। सन २००१ में में उन्होंने इण्डियन इण्स्टीट्यूट ऑफ़ कार्टूनिस्ट्स (बंगलुरू) में (Indian Institute of Cartoonists, Bangluru) के उद्घाटन समारोह के हिस्से के रूप में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कार्टून न्यूज़ हिन्दी की ओर से नमन! भगवान उसकी आत्मा को शांति दे ... 






http://www.thehindu.com/fr/2005/05/20/stories/2005052000110300.htm

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